Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Shunya .....!!

तुम अब प्रेम नहीं रहै शून्य हो चुके हो,और मैं भी आजकल तुम में प्रेम नहीं तलाशती हूँ, मैं चाहती हूँ केवल स्थिरता।
मैं अब सतह में नहीं ,तल तक जाती हूँ तुम्हें खोजने इस उम्मीद से कि कहीं तुम गहराइयों में हो, मन की उस अनंत गहराई में जहाँ शून्य को खोज पाना मेरे लिये कठिन होता है।
मैं ठीक ठीक तल तक नहीं पहुँच पाती किन्तु मैं तल के काफ़ी नज़दीक जाती हूँ और देखती हूँ कि अंत तक व्याप्त पीड़ा में सुख का कुछ भाग छिपा है।


Comments

Post a Comment

Popular Posts