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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Suno...

सुनो तुम...
एक सपना देखा हैं मैंने भी
आखिर सपने देखना भी तो
तुमने ही सिखाया...
कहो ना !...
तुम मुकम्मल करोगे ना ?
मेरे इस सपने को ..!
मैं छूना नहीं चाहती तुम्हें....
बस हवाओं की हर पुरवाई में
महसूस करना चाहती हूँ
बेहद करीब से...
तुम्हारे सुवास में
अपने अहसास को
ख़ुदा की इबादत की तरह
बोलो ना !!
आओगे ना तुम मुझसे मिलने...!!

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