Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

वो ...

उसने बहुत स्त्रियों से प्रेम किया था

उसने हर स्त्री के अधरों पर अलग-अलग तरह से चुम्बन किया था उसने गौर की यह बात कि सब ही स्त्रियों ने तब
आंख बंद कर ली थी...

उसने सब ही स्त्रियों के उभार छुए कराह उठी स्त्री की कराहट से उसने अपने भीतर जोश भरा ..


उसने नाभियों को छुआ तो गौर किया कि हर देह , हर बार कांप गई थी उसने नही देखा कि उसकी आंखों में तब
लाल डोरियां तैरने लगी थीं..

स्त्री आकाश को भीतर भर रही थी जब
वह उभारों के किसी द्वीप पर अपनी धुन में दौड़ रहा था, हांफ रहा था..


सभी स्त्रियों ने आकाश को आलिंगन में भर
कस लिया था तब ठंडी आह भरी थी
और उसकी खुली आँखों मे आंखे डालकर बोली थीं
मुझे छोड़ कर मत जाना..

हर बार उसने तब सीने पर हाथ फिराया था
हर बार वह तब कुछ जीत लेने के भाव से भर उठा था
हर बार वह तब स्त्री के अस्तित्व से जुड़ रहा था
उसका भ्रम था के हर बार वह तब स्त्री को जीत लेने के बेहद करीब था

पर हर बार वह स्त्री को  हार गया जब भी उसने
सीने पर हाथ फिराया

 क्यूंकि उसने

हर बार देह को पाया स्त्री को नहीं  ....!!

Comments

Post a Comment

Popular Posts