Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

यादें...

छोड़ो,

क्या छोडूं , यादें... एहसास... या ज़िन्दगी...
क्या करूँ, बहुत कुछ नहीं छूटता,
ज़िन्दगी रेलगाड़ी तो नहीं हो सकती ना,
कि छूटते जायें स्टेशन, और पीछे मुड़कर भी न देखो,

देखना पड़ता है, घुटी हुयी आवाजें,अधूरे सपने,
गूंजता सूनापन, और नारंगी होता हुआ आसमान ,चलो ना, एक बार फिर, हाथ पकडे बेखबर, घूम आयें, यूँ ही समंदर के किनारे, कर आयें कुछ बातें, बे-सिर पैर की,

और ...

और क्या ...
भूल आयें कुछ यादें...!!

Comments

Popular Posts