Skip to main content

Featured

Love

  बैठा हूँ उसी छत के कोने में, जहां कभी हम दोनों बैठा करते थे। वो चांद, वो सितारे, आज भी वहीं हैं, पर अब उनकी रौशनी कुछ फीकी लगती है.. तब कुछ बातें तुम्हारी होती थीं, और हम हल्के से मुस्कुरा देते थे.. तुम्हारी आंखों में शर्म का वो प्यारा सा एहसास, अब सिर्फ एक याद बनकर रह गया है.. वो चांद अब भी वही है, पर उसकी चांदनी में वो पहले सी चमक नहीं.. तारों की टोली भी अब कुछ अधूरी लगती है, जैसे हमारे रिश्ते की तरह कुछ कम हो गई हो.. कभी ये जगह हमें सुकून देती थी, अब बस यादों का भार लिए चुपचाप खामोश खड़ी है.. जहां कभी बातें होती थीं,वहा अब बस ख़ामोशियाँ घिरी रहती हैं.. यादों की गीली लकड़ियाँ, मन के किसी कोने में धीमे-धीमे सुलगती रहती हैं वो ठंडी आहटें अब भी हैं, पर वो गर्मी जो दिल को छूती थी, कहीं खो गई है आंखें अब पसीजती नहीं, वो आंसू भी शायद थक गए है.. बस एक भारीपन है, जो इस जगह से निकलने का नाम ही नहीं लेता.. अब इस छत पर आना, सुकून कम और दर्द ज़्यादा देता है.. वो समय तो बीत गया, पर यादें आज भी यहां की हर ईंट में बसी हैं.. शायद, कुछ चीज़ें वैसे ही रह जाती हैं— मद्धम, अधूरी, जिन्हें समय भी बदल नह

My Love ❤️❤️

मुझे प्रेम में पास होने से ज़्यादा साथ होना ज़्यादा श्रेयस्कर लगता है, ठीक जैसे आप मेरे साथ प्रेम बन कर रहते हो, ठीक उसी तरह मैंने चुना आपकी देह के साथ परछाई की तरह रहना, जो आपके जीवन की हर सम-विषम परिस्थितियों में आपके साथ दृढ़ता से आपके पीछे हूँ..मेरी आंखे आईना है आपके प्रेम का,और आपका प्रेम मेरे लिए अस्तित्व की नींव भी.. जीवन के सारे दिन मिल कर भी हमारे प्रेम को शायद ही किसी सही परिधि में बांध भी पाएं..

जानती हूं हम दोनों किसी नदी की किनारे की तरह है पर हम हमेशा साथ चलेंगे सागर से मिलने तक..चलोगे ना ?

मेरी सारी रचनाएँ आपको अर्पण किये गए रक्तिम पलाश की तरह हैं, ठीक जैसे शिव जी को चढ़ाया जाता है बिना दोष वाला

त्रिपत्री बेलपत्र...!!


Comments

Popular Posts