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Love

  बैठा हूँ उसी छत के कोने में, जहां कभी हम दोनों बैठा करते थे। वो चांद, वो सितारे, आज भी वहीं हैं, पर अब उनकी रौशनी कुछ फीकी लगती है.. तब कुछ बातें तुम्हारी होती थीं, और हम हल्के से मुस्कुरा देते थे.. तुम्हारी आंखों में शर्म का वो प्यारा सा एहसास, अब सिर्फ एक याद बनकर रह गया है.. वो चांद अब भी वही है, पर उसकी चांदनी में वो पहले सी चमक नहीं.. तारों की टोली भी अब कुछ अधूरी लगती है, जैसे हमारे रिश्ते की तरह कुछ कम हो गई हो.. कभी ये जगह हमें सुकून देती थी, अब बस यादों का भार लिए चुपचाप खामोश खड़ी है.. जहां कभी बातें होती थीं,वहा अब बस ख़ामोशियाँ घिरी रहती हैं.. यादों की गीली लकड़ियाँ, मन के किसी कोने में धीमे-धीमे सुलगती रहती हैं वो ठंडी आहटें अब भी हैं, पर वो गर्मी जो दिल को छूती थी, कहीं खो गई है आंखें अब पसीजती नहीं, वो आंसू भी शायद थक गए है.. बस एक भारीपन है, जो इस जगह से निकलने का नाम ही नहीं लेता.. अब इस छत पर आना, सुकून कम और दर्द ज़्यादा देता है.. वो समय तो बीत गया, पर यादें आज भी यहां की हर ईंट में बसी हैं.. शायद, कुछ चीज़ें वैसे ही रह जाती हैं— मद्धम, अधूरी, जिन्हें समय भी बदल नह

That raining day.... ❤️❤️

वो बारिश का दिन, और आपका घर पर आना,फिर
आपकी गर्म सांसों की सरगोशियों
से मेरा थोड़ा बहक जाना धीरे धीरे सांसों सा आपका वो करीब आना आपके चुंबनों के बरसात से लबरेज़ में, फ़िर मेरा आपमें डूब जाना आपका वो मेरे जिस्म के हर उभार पर थोड़ा सा ठहर कर, बहक जाना,
बहके हुए आप भी थे आपकी सांसों से महकी हुई मै भी थी  बिस्तर के हर सिलवटों में गिरफ्त आप भी थे और, मैं भी थी की वो सांस की आवाजाही थी
सबकुछ रफ़्तार में था, पर वक़्त कुछ ठहरा हुआ था
बरसता की बूंदों का शोर था कानों में हमारे
मगर हर तरफ खामोशियों का घना पहरा था
..
आपकी पसीने की शबनम की हर बूंद से
मेरा रोम रोम महक गया था
खरोंचा था मैंने आपको पुरजोर से भींच लिया उस छोर में कि यूँ भीग कर आपकी सांसों में
मै दहक गई थी ...
..
वो बारिश का दिन, और
आपका मेरे घर पर मेरा आना,एक सपना ही तो है जिसे मैंने खुली आंखों से महसूस किया है ...!!

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