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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Moments

 सुनो तुम्हारे साथ जो पल बीतते है उनकी यादें सहेज कर रखती हूं में.. जानते हो इन पलों की खूबसूरती दुनिया के किसी भी कोने में नहीं .. मैं तुमको सोचती हूं ..तुम्हे जानती हूं ..और तुम्हें समझने की नाकाम कोशिश करती रहती हूं .. उस तुम को छोड़कर कुछ भी नही पास मेरे ..ना मिलकर भी रोम रोम में बसाया है तुम्हे दूर हो मुझसे .. मगर दिल से नही तुम्हें तो मैंने 

महसूस किया हैं .. तुम्हारे सांसों को अपने करीब .. तुम्हारी वो आवाज गूंजती रहती है .. तुम्हारी वो छूवन महसूस करती हूं तो रोम रोम महक उठता है मेरा ..तुम्हारी खुशबू बसी है मुझमेंंतुम्हे बाँधा है मैने प्रेम की डोरी से .. आलिंगनबद्ध किया है अपने जज्बातों से

वो क्षण बहुत करीब है मेरे..जब तुम मेरे होते हो


मुझमें डूबे हुए होते हो ...!!

सुन रहे हो ना आप शिव ...❣️❣️






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