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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Coversation

 ‍: तुम इतने खडूस क्यों हो ?

: तुम्हे ही लगता ऐसा पता नही क्यों 

: तुम अपना मैं क्यों नही छोड़ देते , जब देखो तब "मैं" ये "मैं" वो ..


: मुझे ये मेरा "मैं" ही "मैं" बनाता है !

: अच्छा पर पता नही मुझे क्यों ऐसा लगता की तुम अपने इस मैं के पीछे "छुपा" लेते हो सब कुछ !

: Oyee , तितली तुम्हारे imagination को मत उड़ाओ अब , बस कर ! 

: हां तो .. सच तो कहे , 

हमेशा मैं मैं.. की रट जो की तुम हो ही नही ! 

: चलो अब !  ..तुम्हारा ये "मैं" पुरान खतम हुआ तो कुछ काम धाम भी कर ले जब देखो तब लेक्चर देते रहती.. तुम्हे तो मास्टरनी होना चाहिए था ! 

: हां , Mr. खडूस कही के ! 

काम ही कर रहे ! 

: और बाते कौन बना रहा 

: तुम्हारी "मैं" और कौन !



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