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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Love

 एक ठूँठ सा लड़का 

जिसे छोड़ दिया गया था

किसी निर्झन भूमि में

नितांत अकेला

सहने को थपेडें 

अपमानों के  

फिर यूहीं किसी दिन

अचानक गिरे 

किसी प्रिय के 

मोती जैसे आँसूओं ने

दिया नव सृजन 

पाषाण हो चुके हृदय को!!

अब वो ठूँठ 

करनें लगा है 

अंकुरित प्रिय 

तुम्हारे नवजीवन को 

अपने अंदर !!


ओ ,

मोती जैसी आसूंओं वाली लड़की

मैं तुम्हारा ऋणी हूं !!

Love


‍#writer ..#writingcommunity ...

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