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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

अधूरी कहानियां

 अधिकतर कहानियों में लेखक की ही छाप दिखती है..अगर कभी कोई कहानी लगे आपको अधूरी तो समझिए उस लेखक में कितना कुछ अधूरा होगा...


लेखक जो दिखाते हैं अपनी कहानियों में सरल प्रेम और भाव सरल, वो असल मे देखते हैं प्रेम को पाक नज़र से..


लेखक को समझ जब आप पढ़ेंगे किसी कहानी को, तो वो कहानी कभी अधूरी नही लगेगी...!!

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